इस दुनिया के लोगों के समान] के समान न बनो।*

प्रभु यीशु मसीह के पावन नाम में आप सभी को
💐 *जय मसीह की* 💐

आज का विषय :- > *संसार [इस दुनिया के लोगों के समान] के समान न बनो।*

रोमियो 12:2
[2] *इस संसार [ दुनिया ] के सदृश न बनो;* परन्तु *तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से* तुम्हारा *चाल-चलन भी बदलता जाए,* जिस से तुम *परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥*


*“दुनिया”* - मनुष्यों के बारे में और संसार के बारे में बाईबल बहुत कुछ कहती है।

👉 *दुनिया परमेश्‍वर को नहीं जानती (यूहन्ना 1:10)।*
यूहन्ना 1:10
वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और *जगत ने उसे नहीं पहिचाना।*

👉 *लोग आत्मिक अन्धेरे को पसन्द करते हैं (यूहन्ना 3:19)।*
यूहन्ना 3:19
और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि *ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना* क्योंकि उन के काम बुरे थे।


👉 *मसीह और उनके मानने वालों से नफ़रत (यूहन्ना 7:7; 15:19)।*
यूहन्ना 7:7
जगत तुम से बैर नहीं कर सकता, परन्तु वह मुझ से बैर करता है, क्योंकि मैं उसके विरोध में यह गवाही देता हूं, कि उसके काम बुरे हैं।
यूहन्ना 15:19
*यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है।*

👉 *इसका “शासक” और “ईश्‍वर” शैतान है (2 कुरि.4:4)*
2 कुरिन्थियों 4:4
और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को *इस संसार के ईश्वर[शैतान] ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।*

👉 *परमेश्‍वर के आत्मा को हासिल नहीं कर सकता (यूहन्ना 14:17)*
यूहन्ना 14:17
[17] *सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है:* तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।

👉 *इसका ज्ञान बेवकूफ़ी है (1 कुरि. 3:19)*
1 कुरिन्थियों 3:19
[19]क्योंकि *इस संसार का ज्ञान परमेश्वर के निकट मूर्खता है,* जैसा लिखा है; कि वह ज्ञानियों को उन की चतुराई में फंसा देता है।

👉 *यह अस्थायी है (1 कुरि. 7:31; 2 कुरि. 4:18)*
1 कुरिन्थियों 7:31
[31]और इस संसार के बरतने वाले ऐसे हों, कि संसार ही के न हो लें; *क्योंकि इस संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं।*

👉 *बिना ईश्‍वर और बिना आशा के हैं (इफ़ि. 2:12)*
इफिसियों 2:12
[12]तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और *आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे।*


👉 *इसके साथ दोस्ती, परमेश्‍वर से दुश्मनी है (याकूब 4:4)*
याकूब 4:4
[4]हे व्यभिचारिणयों, क्या तुम नहीं जानतीं, *कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है* सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।


👉 *यह घमण्ड और अभिलाषा से भरी है (1 यूहन्ना 2:16-17)*
1 यूहन्ना 2:16-17
[16]क्योंकि *जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है।*
[17]और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, *वह सर्वदा बना रहेगा॥*

👉 *यह दुष्टता में है (1 यूहन्ना 5:19)*
1 यूहन्ना 5:19
[19]हम जानते हैं, कि हम परमेश्वर से हैं, और *सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।*

आश्चर्य नहीं कि पौलुस लोगों को कहता है कि इसके समान न बनें। दुनिया में ऐसी ताकतें हैं, जो लोगों को ढालती हैं और दुष्टता की प्रेरणा देती हैं।

*विश्‍वासियों को मसीह के समान बनना चाहिए। यह परमेश्‍वर के आत्मा का भीतरी काम है।*

 *यह मन के नए बनते जाने से है* (इफ़ि. 4:22-23)।

*हमारे विचार बहुत मायने रखते हैं।*
👉 हमारे बर्ताव को वे संचालित करते हैं।

एक बदला हुआ जीवन जीने के लिए हमारे विचार आधीन होना और मन परमेश्‍वर के सत्य से भरा होना ज़रूरी है (8:5-6; 2 कुरि. 10:5; कुल. 3:16; भजन 1:1-3; फ़िलि. 2:5; 4:8; इब्रा. 8:10)।

💐💐🌻 *इन वचनों के पढ़े जाने के द्वारा परमेश्वर आपको बहुत आशीष दे* 🌻💐💐

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