*कैसे पता चलेगा की हममें मसीह है या नही और हम मसीह में है या नही*
*कैसे पता चलेगा की हममें मसीह है या नही और हम मसीह में है या नही*
*कुछ वचनो से जानने की और खुद को जांचने की कोशीश करते है*
*1.क्या हम परमेश्वर से सच्चे दिल से प्रेम करते है या अपनी जरुरतो के लिए प्रेम करते है*
मरकुस 12:30
और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।
*2.क्या हम अपने अपने पडोसी से प्यार करते है*
मरकुस 12:31
और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।
*3.क्या हम आत्मा से भजन करते है परमेश्वर का या लोगो को दिखाने के लिए*
यूहन्ना 4:24
परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें।
*4.क्या हम कंगालों पर अनुग्रह करते है या मुंह फेरते है*
नीतिवचन 19:17
जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा।
*5.क्या हम अपने दुश्मनो से प्यार करते है*
मत्ती 5:44
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
*6.क्या हम किसी के गाली के बदले आशीष देते है बुराई के बदले अच्छा करते है*
1 पतरस 3:9
बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।
*7.क्या हम लोगो को सच्चे दिल से माफ़ करते है या ऊपरी मन से*
मत्ती 6:14
इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
*8.क्या हम भले काम करते है यदि करते है तो किनके लिए मनुष्यो को दिखाने के लिए प्रभु के लिए*
इफिसियों 2:10
क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया॥
*9.क्या हम प्रभु को लोगो के बिच में स्वीकार करते है या शरमाते है*
मत्ती 10:33
पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा।
*10.क्या हम हर बात में प्रभु में घमंड करते है या खुद पर करते है खुद की बड़ाई करते है*
2 कुरिन्थियों 10:17
परन्तु जो घमण्ड करे, वह प्रभु पर घमण्ड करें।
*11.क्या हम यीशु को हर बात में हर परिस्थिति में धन्यवाद देते है या कुड़कुड़ाते है*
फिलिप्पियों 4:6
किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
*12.क्या हम हर दुःख में संकट में विषम परिस्थितियों में प्रभु में आनंदित है*
फिलिप्पियों 4:4
प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो।
*13.क्या हम एक दूसरे का भार उठाते है कोई तकलीफ में हो तो आत्मिक भार हो या शारीरिक भार*
गलातियों 6:2
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
*example*
कुलुस्सियों 1:24
अब मैं उन दुखों के कारण आनन्द करता हूं, जो तुम्हारे लिये उठाता हूं, और मसीह के क्लेशों की घटी उस की देह के लिये, अर्थात कलीसिया के लिये, अपने शरीर में पूरी किए देता हूं।
याकूब 2:16
और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?
*14.क्या हमारा बात स्वभाव चालचलन अन्यजाति भाइयो बहनो के बीच में गवाही वाला है*
1 पतरस 2:12
अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें॥
*15.क्या हम यीशु के उद्देश्य को यीशु को जानने के बाद अब भी पाप कर रहे है*
इब्रानियों 10:26
क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझ कर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।
इब्रानियों 10:27
हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
*16.क्या हम यीशु के बलिदान और अनंत जीवन के बारे में लोगो को बताते है सुसमाचार सुनाते है*
मत्ती 28:20
और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥
1 कुरिन्थियों 9:16
और यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।
*17.क्या हममे आत्मा के 9 फल है*
गलातियों 5:22
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
गलातियों 5:23
और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।
*हम इन वचनो के द्वारा खुद को जांच सकते है हम मसीह में है या नही*
*यदि हम ढोंग कर रहे है लोगो को दिखाने के लिए उनके सामने अच्छे काम करते है मसीह का चोला नकाब पहने है तो आज ही मन फिरालो क्योंकि हम खुद को धोखा दे रहे है क्योंकि परमेश्वर हमारे मनो को जांचता है हमारे गुप्त बातो को भी जानता है और इसी के अनुसार न्याय भी करेगा उस दिन पछताने के अलावा कुछ भी नही बचेगा*
नीतिवचन 21:2
मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जांचता है,
सभोपदेशक 12:14
क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा॥
*यीशु इन वचनो के द्वारा हमसे बात करे*
सभोपदेशक 12:13
सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।
आमीन
*कुछ वचनो से जानने की और खुद को जांचने की कोशीश करते है*
*1.क्या हम परमेश्वर से सच्चे दिल से प्रेम करते है या अपनी जरुरतो के लिए प्रेम करते है*
मरकुस 12:30
और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।
*2.क्या हम अपने अपने पडोसी से प्यार करते है*
मरकुस 12:31
और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।
*3.क्या हम आत्मा से भजन करते है परमेश्वर का या लोगो को दिखाने के लिए*
यूहन्ना 4:24
परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें।
*4.क्या हम कंगालों पर अनुग्रह करते है या मुंह फेरते है*
नीतिवचन 19:17
जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा।
*5.क्या हम अपने दुश्मनो से प्यार करते है*
मत्ती 5:44
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
*6.क्या हम किसी के गाली के बदले आशीष देते है बुराई के बदले अच्छा करते है*
1 पतरस 3:9
बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।
*7.क्या हम लोगो को सच्चे दिल से माफ़ करते है या ऊपरी मन से*
मत्ती 6:14
इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
*8.क्या हम भले काम करते है यदि करते है तो किनके लिए मनुष्यो को दिखाने के लिए प्रभु के लिए*
इफिसियों 2:10
क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया॥
*9.क्या हम प्रभु को लोगो के बिच में स्वीकार करते है या शरमाते है*
मत्ती 10:33
पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्कार करेगा उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के साम्हने इन्कार करूंगा।
*10.क्या हम हर बात में प्रभु में घमंड करते है या खुद पर करते है खुद की बड़ाई करते है*
2 कुरिन्थियों 10:17
परन्तु जो घमण्ड करे, वह प्रभु पर घमण्ड करें।
*11.क्या हम यीशु को हर बात में हर परिस्थिति में धन्यवाद देते है या कुड़कुड़ाते है*
फिलिप्पियों 4:6
किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
*12.क्या हम हर दुःख में संकट में विषम परिस्थितियों में प्रभु में आनंदित है*
फिलिप्पियों 4:4
प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो।
*13.क्या हम एक दूसरे का भार उठाते है कोई तकलीफ में हो तो आत्मिक भार हो या शारीरिक भार*
गलातियों 6:2
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
*example*
कुलुस्सियों 1:24
अब मैं उन दुखों के कारण आनन्द करता हूं, जो तुम्हारे लिये उठाता हूं, और मसीह के क्लेशों की घटी उस की देह के लिये, अर्थात कलीसिया के लिये, अपने शरीर में पूरी किए देता हूं।
याकूब 2:16
और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?
*14.क्या हमारा बात स्वभाव चालचलन अन्यजाति भाइयो बहनो के बीच में गवाही वाला है*
1 पतरस 2:12
अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें॥
*15.क्या हम यीशु के उद्देश्य को यीशु को जानने के बाद अब भी पाप कर रहे है*
इब्रानियों 10:26
क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझ कर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।
इब्रानियों 10:27
हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
*16.क्या हम यीशु के बलिदान और अनंत जीवन के बारे में लोगो को बताते है सुसमाचार सुनाते है*
मत्ती 28:20
और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥
1 कुरिन्थियों 9:16
और यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।
*17.क्या हममे आत्मा के 9 फल है*
गलातियों 5:22
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
गलातियों 5:23
और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।
*हम इन वचनो के द्वारा खुद को जांच सकते है हम मसीह में है या नही*
*यदि हम ढोंग कर रहे है लोगो को दिखाने के लिए उनके सामने अच्छे काम करते है मसीह का चोला नकाब पहने है तो आज ही मन फिरालो क्योंकि हम खुद को धोखा दे रहे है क्योंकि परमेश्वर हमारे मनो को जांचता है हमारे गुप्त बातो को भी जानता है और इसी के अनुसार न्याय भी करेगा उस दिन पछताने के अलावा कुछ भी नही बचेगा*
नीतिवचन 21:2
मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में तो ठीक होता है, परन्तु यहोवा मन को जांचता है,
सभोपदेशक 12:14
क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा॥
*यीशु इन वचनो के द्वारा हमसे बात करे*
सभोपदेशक 12:13
सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।
आमीन
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