एक दूसरे के लिए जीना सीखें

*एक दूसरे के लिये जीना सीखें*

*मसीह की देह में हमारा एक दूसरे के लिए कैसा व्यवहार होना चाहिए ?*

"क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।"      (गलातियों 5:14)

🔴 *तुम एक दूसरे के भार उठाओ*
"तुम एक दूसरे का भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।"
                            (गलातियों 6:2)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे का भार उठाते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे से प्रेम करो*
"मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।"             (यूहन्ना 15:12)
👉🏽 *क्या आज हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे की उन्नति करो*
"इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो, और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनो, जैसा कि तुम करते भी हो।"
                     (1थिस्सलुनीकियों 5:11)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे की उन्नति करते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो*
"एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओं।"               (याकूब 5:16b)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे से संगति करो*
"पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।"
                             (1 यूहन्ना 1:7)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे की संगति करते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे के सामने अपने-अपने पापों को मान लो*
"इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने-अपने पापों को मान लो।"
                            (याकूब 5:16a)
👉🏽 *क्या हमने एक दूसरे के सामने अपने पापों को माना ?*

🔴 *एक दूसरे को ग्रहण करो*
"इसलिये, जैसा मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।"
                             (रोमियो 15:7)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे को ग्रहण करते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे का आदर करो*
"भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह रखो;  परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।"               (रोमियो 12:10)
👉🏽 *क्या हम धर्मी लोगों का आदर करते है ?*

🔴 *एक दूसरे को सुधारो*
"इसलिये हम उन बातों में लगे रहें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो।"               (रोमियो 14:19)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे को  सुधारते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे के साथ नम्र बनों*
"निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।" (1 पतरस 3:8)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे के सामने नम्र बनते है ?*

🔴 *एक दूसरे के लिए एक मन रहो*
"आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।"  (रोमियो 12:16)
👉🏽 *क्या हम एक मन रहते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे पर करुणामय हो*
"एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो।"           (इफिसियों 4:32 a)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे पर करुणामय है ?*

🔴 *एक दूसरे की सह लो*
"अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।"                    (इफिसियों 4:2)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे की सहते है?*

🔴 *एक दूसरे के साथ एक मत होकर मिले रहो*
"हे भाइयो, मैं तुम से हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से विनती करता हूँ, कि तुम सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो।"           (1 कुरिन्थियों 1:10)
👉🏽 *क्या हम एक मत होते हैं ?*

🔴 *एक दूसरे का अपराध क्षमा करो*

    (इफिसियों 4:32bc)
👉🏽 *क्या हम एक दूसरे के अपराध क्षमा करते हैं?*

*प्रभु अपने वचन के द्वारा आप सब को आशीष दे।*  आमेन 🙏🙏

Comments

Popular posts from this blog

मूर्ति पूजा सही या गलत

पाप की परिभाषाषा क्या है?

स्वर्ग क्या है